कृत्रिम गर्भाधान डेयरी उद्योग में वह प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा गायों को डेयरी मालिक की मर्जी से गर्भवती करवाया जाता है ताकि उसके बछड़ा पैदा हो और वह दूध देने लगे।
वैसे तो किसी भी प्राणी में गर्भाधान एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा वह प्राणी अपना वंश वृद्धि करता है। गर्भकाल पूर्ण होने के बाद बच्चा होता है और उस बच्चे के पोषण के लिए माँ के आँचल में दूध आता है जिसे बच्चा पी कर अपने जीवन की शुरुआत करता है।
इस प्राकृतिक प्रक्रिया को डेयरी उद्योग में कृत्रिम बनाया गया है और गर्भाधान का उद्देश्य ही बदल दिया गया है। अब कृत्रिम गर्भाधान को अधिकाधिक दूध उत्पादन का जरिया बना दिया गया है और इस दूध उत्पादन के बीच में बछड़ा आ जाता है जो कि अगर नर हुआ तो अवांछित ही होता है।
कृत्रिम गर्भाधान क्या होता है?
जैसा कि डेयरी उद्योग में अधिकाधिक दूध उत्पादन के लिए किसी भी गाय का निरंतर दूध देना जरुरी होता है और गाय दूध देती रहे इसके लिए उसे हर वर्ष बच्चा पैदा करना भी जरुरी होता है।
दूध उत्पादन के लिए पाली गयी लाखों गायों के निरंतर बच्चा पैदा करवाने के लिए सांड का उपयोग करना व्यवहारिक नहीं होता इसलिए गायों में गर्भधारण करवाने के लिए यह कृत्रिम प्रक्रिया अपनायी जाती है।
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जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह एक कृत्रिम प्रक्रिया होती है। कृत्रिम होने के साथ-साथ इसका उद्देश्य भी प्रकृति के नियमों के प्रतिकूल ही होता है अर्थात दूध का उत्पादन न की वंश वृद्धि।
कृत्रिम गर्भाधान वह तकनीक है जिसमें जीवित शुक्राणुओं के साथ वीर्य को नर से एकत्र किया जाता है और उपकरणों के माध्यम से मादा के गर्भाशय में डाला जाता है।

जैसा की ऊपर फोटो में दिखाया गया है यह प्रक्रिया करने वाला व्यक्तिअपना एक हाथ कोहनी तक गाय की गुदा में डालता है, और दूसरे हाथ से एक पतली वीर्य से भरी ट्यूब गाय की योनि द्वार में प्रवेश करवाई जाती है। गुदा द्वार से डाले गए हाथ से गर्भाशय को सही स्तिथि में ला कर ट्यूब से वीर्य छोड़ दिया जाता है।
देखने में तो यह बहुत आसान सा लगता है परन्तु गायों के लिए किसी नारकीय पीड़ा से कम नहीं होता लेकिन इंसान गौमाता की इस पीड़ा को बिलकुल ही नज़रअंदाज़ कर देता है।
इस पूरी प्रक्रिया को देखिये इस वीडियो में
क्या गलत है कृत्रिम गर्भाधान में?
यह प्रक्रिया सीधे तौर पर प्रकृति के नियमों के साथ छेड़छाड़ ही है। अगर किसी प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए इस तरह की प्रक्रिया अपनायी जाए तो उसे सही कहा जा सकता है लेकिन यहाँ इंसान अपने लालच के खातिर किसी प्राणी के शरीर से बेरहमी से इस तरह की छेड़छाड़ करता है तो इसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
किसी गैर इंसान प्रजाति के प्राणियों के गुप्तांगों के साथ इस तरह की छेड़छाड़ कितनी उचित है? क्या पशु दूध का लालच हम पर इस कदर हावी हो चुका है कि हमें पशुओं के साथ बार-बार होने वाला यह बलात्कार बहुत सामान्य सा लगता है?
क्या आप अभी भी यही सोचते हैं कि गाय हमारी माता है और गाय हमारे लिए ही दूध देती है?
15 महीने की कच्ची उम्र में डेयरी की मादा गायों को कृत्रिम गर्भाधान के जरिए गर्भधारण के लिए मजबूर किया जाता है। यह प्रक्रिया जानवरों के लिए बेहद दर्दनाक होती है क्योंकि अनुभवहीन कार्यकर्ता अक्सर जानवरों को “बलात्कार रैक” में रख कर इस काम को अंजाम देते हैं, और धातु की छड़ या लकड़ी के डंडे का उपयोग उन्हें बलपूर्वक नियंत्रण में करने के लिए किया जाता है।
किसी भी गाय का गर्भकाल लगभग 9 माह का होता है और बछड़ा पैदा होने के साल भर के अंदर धीरे-धीरे दूध की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए बछड़ा पैदा होने के 6-8 महीने के बाद ही उसे फिर से गर्भवती करवा दिया जाता है जिससे उसके दूध न देने का काल(dry period) ज्यादा लंबा न हो। यह विशुद्ध रूप से एक व्यावसायिक सोच ही है जिसमें किसी भी प्राणी के प्रति करुणा और दया की कोई जगह नहीं होती।
कैसे बंद हो सकता है यह अत्याचार
अगर हम जानवरों को उनका गरिमामय जीवन जीने का अधिकार देना चाहते हैं तो किसी भी कारण से उन पर इस तरह के अत्याचारों के विरुद्ध एक बुलंद आवाज़ की जरूरत है। जानवरों पर कोई भीअत्याचार इसलिए होता है क्योंकि हम उनसे कुछ लेना चाहते हैं अत: हर तरह के पशु उत्पादों का प्रयोग बंद कर ही उन्हें इस धरती पर अपना प्राकृतिक जीवन जीने का अधिकार मिल सकता है।
The Sexual Violation of Dairy Cows in 14 Steps