क्या गाय का बछड़ा उसकी माँ का सारा दूध पी सकता है?

डेयरी उद्योग पूरी तरह उस मादा पर निर्भर होता है, जिसके बच्चा होता है और उसके बाद उसके आँचल में दूध आता है। वैसे तो हम सब इस बात से भली-भाँती परिचित हैं कि प्रकृति के नियमानुसार किसी भी स्तनधारी प्राणी के बच्चा होने पर उस बच्चे के पोषण के लिए दूध नामक स्राव पैदा होता है, जो किसी भी नवजात के लिए एक सम्पूर्ण आहार माना जाता है।गाय का बछड़ा भी वही नवजात होता है जिसे उसके माँ के दूध की बेहद आवश्यकता होती है।      

गाय का बछड़ा और उसकी माँ का रिश्ता

गाय का बछड़ा और उसी रिश्ते में बंधे होते हैं जैसे इंसान का बच्चा और उसकी माँ। लेकिन हम दोनों को अलग-अलग नज़रिये से देखने के आदि हो चुके हैं।

जब बछड़ा माँ के पेट में आता है तो पूरे गर्भकाल में सीधे अपनी माँ के खून से पोषण लेता है, लेकिन इस दुनिया में आते ही उसकी अपनी माँ के खून से सीधे पोषण लेने की प्रक्रिया टूट जाती है। अब उसे अपने मुँह का उपयोग करना होता है।

यहाँ एक बात समझने योग्य है कि गर्भ के अंदर बच्चे को जिस तरह का पोषण मिल रहा होता है उसमें तुरंत बदलाव नहीं हो सकता क्योंकि बदलाव की प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। इसलिए प्रकृति ने एक सुंदर व्यवस्था की है, और उसी खून से दूध रूपी अमृत बनाया है। जिसे बच्चा पैदा होते ही अपने मुँह से लेना शुरू कर देता है, और उसे एक नियत समय तक अपने माँ के दूध के अतिरिक्त कुछ भी लेने की, यहाँ तक की पानी की भी जरूरत नहीं होती।

इस अवस्था में दूध को एक सम्पूर्ण आहार कहा गया है। किसी भी प्राणी का नवजात बच्चा अपनी जरूरत के हिसाब से दिन में कई बार अपनी माँ का दूध पीता है, अगर भूख लगे तो भी और प्यास लगे तो भी उसके लिए सिर्फ माँ का दूध ही होता है जो उसकी सारी जरूरतें पूरी करता है।

इंसान के बच्चे के लिए यह समय सीमा 6 माह होती है जब उसे सिर्फ माँ का दूध पीलाने के लिए कहा जाता है। प्रकृति की व्यवस्था भी ऐसी ही होती है कि बच्चा जितना दूध पीता है उसके अनुसार माँ के शरीर में दूध का निर्माण भी होता है। अगर बच्चा किन्ही कारणों से दूध पीना बंद कर दे तो धीरे धीरे दूध बनना भी बंद हो जाता है और अगर बच्चा 2 वर्ष तक भी पीता रहे तो दूध आना जारी रहता है।   

अगर प्रकृति के नियमों के अनुसार चलें तो यह प्रश्न ही व्यर्थ प्रतीत होता है। वास्तव में यह प्रश्न व्यर्थ और हास्यास्पद ही है लेकिन हमे यह समझना होगा कि यह प्रश्न उठा ही क्यों? शायद जब गाय का दूध पीने वालों पर यह आरोप लगे कि वह गाय का दूध बछड़े को नहीं पीने देते और जबरदस्ती निकाल कर स्वयं उपयोग में लाते हैं तब यह चालाकी भरा प्रश्न पैदा हुआ होगा।

पहले तो गाय को माँ कहा और फिर यह भ्रम फैलाया गया कि गाय का बछड़ा अपनी माँ का सारा दूध नहीं पी सकता इसलिए इंसान उसका दूध दुह कर उस पर कृपा करता है। और अपने इस झूठ को सच साबित करने की कई युक्तियाँ भी निकाली। 

इंसान अपनी दूध की लालसा के लिए बछड़े को माँ से अलग बांधता है और उसे दूध पीने नहीं देता। ऐसी अवस्था में गाय के थन में दूध एकत्र हो जाता है और गलती से कभी भूखा बछड़ा अपनी माँ का दूध पीने में सफल हो जाता है तो वह सारा एकत्र हुआ दूध पीने की कोशिश करता है।

शायद उसको आभास होता होगा कि फिर पता नहीं कब उसे दूध नसीब होगा।  एकदम से ज्यादा दूध पीने से हो सकता है उस बछड़े को दस्त लग जाए या अपच हो जाये। इसी बात को आधार बना कर यह भ्रम फैलाया गया है कि बछडे के लिए अपनी माँ का सारा दूध पीना घातक हो सकता है और गाय का बछड़ा मर भी सकता है इसलिए इंसान द्वारा उसका दूध निकाला जाना जरुरी है। 

अब अगर इसे प्राकृतिक अवस्था में देखा जाए तो गाय का बछड़ा हमेशा माँ के पास ही रहना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो वह अपनी जरूरत के हिसाब से थोड़ा-थोड़ा दूध दिन में कई बार पियेगा (जैसा की इंसान का बच्चा करता है, माँ उसको दिन में कई बार उसकी जरूरत के हिसाब से उसे दूध पिलाती है) न की 1 या 2 बार खूब सारा पीयेगा।

अगर ऐसा होता है तो न तो दूध पीने से किसी गाय का बछड़ा बीमार पड़ेगा और न ही मरेगा। लेकिन ऐसा करना इंसान के स्वार्थ के बिलकुल भी अनुकूल नहीं होगा क्योकि अंत में उसके लिए गाय के पास बिलकुल भी दूध नहीं बचेगा और उसका गाय पालने (सही में कहें तो गाय को गुलाम बनाने) का उद्देश्य ही निरर्थक हो जाएगा। 

कोई भी इसलिए डेयरी नहीं चलता या अपने घर में गाय नहीं बांधता कि वह बछड़े को ख़ुशी-खुशी माँ का वात्सल्य पाते देख जीव दया का पुण्य कमाए। अगर ऐसा ही करना हो तो इंसान शायद गायों को जबरदस्ती गर्भवती करा कर  बछड़े ही पैदा न करवाए। बछड़े तो सिर्फ और सिर्फ दूध के लालच के कारण ही पैदा किये जाते हैं, और जब इसमें नैतिकता के प्रश्न उठते हैं तो इस तरह के तर्क गढ़े जाते हैं।   

एक तर्क और भी दिया जाता है कि आजकल ऐसी नस्लें तैयार हो चुकी है जो गाय के बछड़े की आवश्यकता से कई गुना दूध पैदा करने में सक्षम है। ठीक है, लेकिन क्या –

  • इस तरह से किसी प्राणी का शोषण करने के लिए उसकी ऐसी कृत्रिम नस्लें पैदा करना, जो कि सिर्फ इंसानों की गुलामी के लिए ही पैदा होती है, नैतिकता के दायरे में आता है? 
  • नस्लों के बछड़ों को भी भरपूर दूध पीने दिया जाता होगा? 
  • अगर इनके बछड़े उनकी पूरी जरूरत का दूध पीयें और फिर कुछ दूध बच भी जाए तो क्या वह दूध की मात्रा उस गाय के खर्च को चलने के लिए पर्याप्त होगी?

इस तरह की नस्लों की अपनी कई समस्याएं भी होती है और उनसे प्राप्त दूध भी इंसानों के लिए कितना उचित है? इस पर भी एक प्रश्न चिन्ह है। 

अंत में यही कहना चाहूंगा कि किसी भी प्रजाति का दूध निकालना न सिर्फ उस माँ के लिए बल्कि उसके बच्चे के लिए किसी भी तर्क से नैतिकता के दायरे में नहीं आता। यह गाय के बछड़े और उसकी माँ के बीच का मामला होता है कि उसे कितना दूध पीना है और उसकी  माँ कितना और कब तक पिलाना उचित समझती है। इंसान को इसमें दखल देने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि हम बचपन में अपनी माँ का दूध पी चुके होते हैं और अब एक स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए किसी भी प्रजाति के दूध की कोई आवश्यकता नहीं होती।   

गाय का दूध उसके बच्चे को ही पीने दीजिये। लेकिन अगर आपको बिना दूध की चाय/कॉफी पसंद नहीं तो आप वीगन दूध घर पर भी बना सकते हैं या फिर यहाँ ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं

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The Emotional Lives of Dairy Cows

7 thoughts on “क्या गाय का बछड़ा उसकी माँ का सारा दूध पी सकता है?”

  1. bacche tum ho kaun jo itni netagiri kar rahe ho sashtra padh lo bina gaay ke ghee ke ram bhi paida nhi hue thay gaay ko rakha hi isliye jaata hai ki voh poore jagat ka palan kare tumhare logic se toh koi roti sabji khana bhi band karde kyunki voh sab bhi ped paudho par attyachar hai gaay se doodh lena hai isliye usse ucchtam quality fodder khilatey hai varna uske baccha ka poshan kheens hota hai jo usse de dete hai aur thoda bahoot doodh aur jaroori hota hai voh thode chare par bhi ban sakta hai lekin gaay dooodh dene ki avastha main hoti hai isliye extra quality fodder khilake hum usko insaano ke doodh ke liye bhi taiyaar kar lete hai ye tumhari soch galat hai hamare krishna bhi gaay ka doodh peetey thay bolo voh bhi galat thay hum jo extra khilakar bacchey ko pilayenge naa toh vakai main uska baccha beemar padega kyunki kam chare par hi uske bacchey ka doodh ban jaata hai

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    • बेटा, जब अपने कुकर्मों पर से कोई पर्दा उठाता है तो झुंझलाहट तो होती ही है। कब तक आखिर गायों पर अत्याचार कर उनका दूध छीनते रहोगे? कब बुझेगी तुम्हारी यह दूध की प्यास? आज तुम जैसे दूध के नशेड़ियों के कारण ही भारत गौमांस निर्यात में विश्व में नंबर 2 है। अगर यूँही सब चलता रहा तो जल्दी ही नंबर 1 पर आ जायेगा। लेकिन तुमको शर्म थोड़े ही आती है कि तुम्हारी गौमाता का मांस निर्यात हो रहा है सिर्फ तुम जैसे मावा, मलाई मक्खन चाटने वालों के कारण।

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  2. abey murkh ke bacche tu kaun hota hai hume gyan dene vaala tu maans khata hai maans aur gyan baant rha hai gadhey tughe kya pata gaay ki importance hum seva karenge gaay ki isliye hum usse doodh lene ke adhikari hai bachde ko uske hisse ka doodh dete hai bhai baaki doodh hum logo ke liye hi toh hai uske liye extra chara aur daana diya jaata hai naa gaay ko tum jaise log toh jinda khaa jaate ho jeev ko isliye tumko toh baat karne ko koi right nhi hai iss subject pe tum khud bangan khakar dusro ko parhez bata rhey ho

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    • अरे नादानों, दूध के लालचियों, कब तब अपनी दूध की प्यास बुझाने के लिए मासूम गायों पर अत्याचार करते रहोगे? तुम जैसे लोगो ने आज गायों को सिर्फ एक दूध पैदा करने की मशीन बना कर रखा हुआ है और ऊपर से अपने पापों को छुपाने के लिए उसको गाय माता बोलने का ढोंग करते हो।
      पता है गाय के दूध कब और कैसे आता है? सबसे पहले तुम जैसे लोग गायों का बलात्कार करवाते हो जिए सभ्य भाषा में तुम कृत्रिम गर्भाधान कहते हो। फिर जब उसके बच्चा पैदा होता है तो उसको थोड़ा सा दूध पीला कर हटा देते हो और सारा दूध धोखे से निकल लेते हो। अपनी इस करतूत पर पर्दा डालने के लिए सफाई देते फिरते हो कि बछड़ा सारा दूध नहीं पी सकता अगर वह सारा दूध पी लेगा तो मर जायेगा, ऐसा झूठ तुम जैसे दूध के लालचियों द्वारा हो फैलाया गया है। इसलिए यह पोस्ट लिखनी पड़ी।
      जब गाय बूढी हो जाती है तो उसके साथ क्या सलूक होता है?वही जिसे गाय माता कहते थे सड़कों पर आवारा गायों के रूप में भटकने को मजबूर होती है और प्लास्टिक खा-खा कर दम तोड़ देती है या कत्लखाने में काट दी जाती है।
      और हाँ यह तो तुम ढोंगियों को पता ही होगा कि गाय के जब नर बछड़ा होता है तो उसको कुछ ही दिनों में सड़कों पर आवारा छोड़ देते हो या वह अपनी माँ के पास ही भूख के मारे दम तोड़ देता हो और तुम सफाई देते फिरते नर बछड़े ज़िंदा नहीं बचते।
      अभी भी कुछ समझ आया या तुम्हारी और पोल खोलूं??

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      • toh phir gaay koi kyun hi paalega aur doosri baat yadi gaay ko hum khulla chod denge naa toh tughe jyada gaay dikhingi hum balatkaar karvaate nhi bachatey hai gharo main rakhkar humne inki sankhya control kar rakkhi hai phir dheere dheere ek samay aisa aayega jyada gaaye kategi aur shayad dikhna bhi band ho jaaye tumhari aakhir baat shi hai doodh ke baad gaay aur uske bachde ko sadak par naa chode unki seva kare tabhi toh voh hamari maata hai aur bachde ko bhai 16-17 din takk poora doodh dete hai uske baad usko chaare par laaya jaata dheere dheere aisa nhi karenge toh ekdum se voh doodh chodega kya phir 9 months baad voh bhookha marega ekdum se khaana nhi khaayega

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