माँ है वह तो उसे माँ ही रहने दीजिये,
उसका दूध उसके बछड़े को ही पीने दीजिये।
जब एक वयस्क इंसान उस माँ का दूध चुराता है ,
उस माँ की हाय उस दूध में पाता है।
उसका बच्चा जब बूचड़खाने में माँ-माँ चिल्लाता है,
उस माँ का दूध ज़हर में बदल जाता है।
वो ज़हर एक दिन बीमारी बन जाएगा,
आपका तन-बदन उस ज़हर से भर जाएगा।
तब आप यह मत पूछना कि, किस पाप की सजा है यह,
क्योंकि आपको पता है एक माँ की बद्दुआ है यह।