क्या किसी एक पूरी प्रजाति को माँ कहने से आप उसकी सारी पीढ़ियों का दूध पीने के हकदार हो जाते हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि हम किसी एक गाय को माँ नहीं कहते अपितु पूरी गाय प्रजाति को माँ कहते हैं और अपने पूरे जीवन में न जाने उसकी कितनी ही पीढ़ियों का दूध पी जाते हैं।
अगर गाय माँ होती तो कोई एक होती जिसे आप अपने घर पर रखते और निस्वार्थ भाव से उसकी देखभाल करते। यहाँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि गाय प्रजाति को माँ घोषित कर हमने आजीवन उनकी पीढ़ियों का दूध पीने का अधिकार पा लिया है।
क्या आपने कभी विचार किया है कि हम जिस कथित गौ माता का दूध पीते हैं उसकी मनोस्थिति क्या होती है? क्या वह अपना दूध हमारे द्वारा निकाले जाने पर प्रसन्न होती है? या यह सिर्फ उसकी मजबूरी है? क्योंकि वह हमारे बंधन में होती है और कुछ भी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ होती है।
क्या आपने कभी सोचा है कि गाय अगर हमारी माता है तो वह दूध तभी क्यों देती है जब उसका बछड़ा पैदा होता है? क्यों वह तब दूध नहीं देती जब हम चाहें? क्या सिर्फ बछड़ा होने के बाद उसको दूध आना इस बात का संकेत नहीं है कि वह दूध उसी बच्चे के लिए आता है जिसे उसने जन्म दिया है?
क्या आपको पता है कि गायों/भैंसो से दूध उत्पादन निरंतर प्राप्त करने के लिए उन्हें हर साल जबरन कृत्रिम तरीके से गर्भवती किया जाता है (यह क्रिया बलात्कार के सामान होती है क्योंकि यह गर्भाधान उसकी इच्छा के विरुद्ध जबरदस्ती उसे रस्सियों से बाँध कर किया जाता है)

क्या आपको पता है कि गाय के बछड़ा होने पर उसे उसकी माँ का दूध बहुत कम मात्रा में अथवा बिलकुल नहीं पीने दिया जाता विशेषकर यदि वह बछड़ा नर है तो उसे डेयरी उद्योग में कचरा समझा जाता है और उसे दूध पिलाना घाटे का सौदा समझा जाता है।
आप ही सोचिये कोई डेयरी फार्म क्यों खोलता है? जानवरों पर दया करने के लिए या ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए? नर बछड़े से जल्दी से जल्दी छुटकारा पाने की कोशिश की जाती है इसलिए उसे सड़कों पर धकेल दिया जाता है (इसका प्रमाण आप सड़कों पर देख सकते हैं जहाँ आवारा गायों के झुण्ड में आपको छोटे-छोटे नर बछड़े और सांड ही ज्यादा नज़र आएंगे)।
जहाँ गाय के कत्ल पर पाबंदी नहीं है वहां इन मासूम बच्चों को सीधे कत्ल खाने को बेच दिया जाता है और इन बछड़ों का कत्ल उनके मांस और मुलायम चमड़े के उत्पादन के लिए किया जाता है।जी हाँ वही मुलायम चमड़ा जो हमारी कार की सीटों की शोभा बढाता है और हम गर्व से बोलते हैं यह soft leather है।
अगर मादा बछड़ा होती है तो उसे किसी तरह से जिन्दा रखने के लिए कुछ दिनों तक थोड़ा बहुत माँ का दूध पीने दिया जाता है और बाकी ऊपर का भोजन दे कर बड़ा किया जाता है ताकि जवान होने पर उसे भी दूध दुहने की मशीन बनाया जा सके। फिर उसके साथ भी वही सब कुछ किया जाता है जो उसकी माँ और उसकी दादी के साथ किया जा रहा था।
एक और दिल दहलाने वाली बात जो हम अपनी कथित गौ माता के बारे में नहीं जानते वह यह है कि निरंतर उन्हें दूध दुहने की मशीन बनाये रखने के लिए उन्हें उनके दूध दुहने के काल में ही पुन: गर्भवती बना दिया जाता है।
इस तरह उसका दूध बंद होने और नया बछड़ा पैदा होने के बीच का अंतर कम से कम किया जाता है ताकि डेयरी फार्म को नुकसान न हो। क्योंकि अगर गाय ज्यादा समय तक ड्राए पीरियड में रहती है तो उसको खिलाने पिलाने का खर्च मुनाफे में कमी करता है।
इसका सीधा सा अर्थ है कि जो दूध हमारे घर में आता है उसमे उस गाय का दूध भी होता है जो कि गर्भवती होती है।
- क्या इस बात को जानकार आप उस गाय की पीड़ा का अंदाजा लगा सकते हैं जिसका कुछ महीनो का बच्चा तो उससे दूर कर ही दिया गया है और उसके पेट में दूसरा बच्चा आ गया है?
- क्या उसकी पीड़ा को जान कर आपके रोंगटे खड़े नहीं होते?
- क्या जिस पशु को हम माँ कहते और जिसकी पूजा करते नहीं थकते, उसकी इस पीड़ा से हम इसलिए अनजान बने रहते हैं क्योंकि हमे उसका दूध पीने की आदत पड़ गयी है?
- अगर यह सब जान कर भी हम अपनी आँखें बंद कर लेते हैं तो क्या हम अपने आपको धोखा नहीं दे रहे हैं।
इन क्रूरताओं के बचाव में हम कई तरह के तर्क वितर्क दे सकते हैं ताकि किसी गाय को माता कह उसका दूध पीने में कोई ग्लानि महसूस न हो लेकिन सच तो फिर भी नहीं बदलेगा और हमारा इन मूक प्राणियों के प्रति हो रहे जघन्य अपराधों से मुँह फेरने से उनका जीवन नरकीय ही बना रहेगा।