कौन कहता है कच्चा दूध नहीं पीना चाहिए?
प्रकृति ने दूध रूपी अमृत सीधा माँ के आँचल से कच्चा पीने के लिए ही तो बनाया है। लेकिन जब हम प्रकृति के नियमों के विरुद्ध जा कर कोई काम करते हैं तभी समस्याएं पैदा होती है।
जिस सन्दर्भ में यह प्रश्न पूछा गया है उसका तात्पर्य पशुओं के दूध से है। जिसे इंसान उबाल कर पीता है। क्या आपने कभी सोचा है कि वही दूध अगर गाय का बछड़ा सीधे माँ के स्तनों से पीता है तो वह कच्चा दूध उसके लिए तो अमृत समान होता है लेकिन जब इंसान उन मासूम बछड़ों से उनका अधिकार छीन कर उनका दूध निकल कर पीना चाहता है तो उसे गर्म करने की आवश्यकता होती है? क्योकि हवा के संपर्क में आते ही वह दूषित होने लगता है।
हर स्तनधारी प्राणी अपने नवजात बच्चों के लिए ही दूध पैदा करता है और हर माँ अपने बच्चे को एक नियत समय तक ही दूध पिलाती है उसके बाद उसे जिंदगी भर दूध की कोई आवश्यकता नहीं होती। सिर्फ इंसान ही ऐसा नासमझ बुद्धिमान प्राणी है जो मरते दम तक पशुओं का दूध पीता रहता है।
क्या दूध शाकाहार है या मांसाहार?
दूध अमृत है बच्चे के लिए उसकी माँ का, लेकिन बीमारियों का कारण है जब जिंदगी भर किसी अन्य प्रजाति का पीया जाए।