प्रोटीन क्या होता है?
इंसान प्रोटीन दो माध्यम से ग्रहण करता है। शाकाहारी प्रोटीन और माँसाहारी प्रोटीन।
शरीर के समुचित विकास के लिए जरुरी तीन स्थूल पोषक तत्वों (essential macro nutrients) में से एक प्रोटीन होता है जो शरीर की मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाने के लिए जरुरी है। अन्य स्थूल पोषक तत्व वासा और कार्बोहायड्रेट होते हैं।
प्रोटीन शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो मांसपेशियों, बालों, नाखूनों और कोलेजन ( शरीर को एक साथ रखने वाले संयोजी ऊतक) का आधार बनता है। प्रोटीन विभिन्न चयापचय उत्पादों(metabolic products) के संश्लेषण के लिए भी आवश्यक हैं, जिनमें न्यूरोट्रांसमीटर, थायराइड हार्मोन, हेम (लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है), और न्यूक्लिक एसिड (डीएनए और आरएनए) शामिल हैं। डीएनए और आरएनए हर जीवित चीज़ की विरासत में मिली विशेषताओं को निर्धारित करते हैं और प्रोटीन संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हमारा शरीर प्रोटीन की जरूरत के लिए विभिन्न प्रकार के आहार पर निर्भर होता है क्योकि अलग अलग खाद्य पदार्थों में अलग अलग प्रकार के एमिनो एसिड पाए जाते हैं जिससे प्रोटीन बनता है। हमारे शरीर में हमारे वजन का लगभग 15 प्रतिशत भाग प्रोटीन का होता है। प्रोटीन ऊर्जा का स्त्रोत भी होता है। 1 ग्राम प्रोटीन से हमें लगभग 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।
हमें प्रतिदिन कितनी मात्रा में प्रोटीन की जरुरत होती है?
हर व्यक्ति की प्रोटीन की जरूरत विभिन्न कारणों पर निर्भर करती है इसलिए हर व्यक्ति के लिए यह अलग-अलग होती है। विभिन्न अध्यनों से पता चला है कि एक सामान्य व्यक्ति को 2 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन से लेकर एक खिलाडी को 4 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के हिसाब से प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
प्रोटीन कहाँ से मिलता है?
सभी तरह के शाकाहारी, माँसाहारी और निरवद्यहारी (vegan) भोजन में प्रोटीन पाया जाता है। हमारे शरीर के समुचित विकास के लिए एक से अधिक प्रकार के प्रोटीन की नियमित जरुरत होती है, इसलिए भोजन की विविधता पर हमेशा जोर दिया जाता है।
एक बहुत ही प्रचलित मिथ्या धारणा बनी हुई है कि प्रोटीन की जरुरत के लिए किसी भी पशु से मिलने वाला भोजन करना जरुरी है, नहीं तो शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है। क्योंकि पेड़ पौधों से प्राप्त भोजन में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा नहीं होती।
इस मिथ्या को तोड़ने के लिए कोई बहुत बड़े शोध या अध्ययन की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है। आप प्रकृति में उपस्थित किसी भी शाकाहारी प्राणी को देख लीजिये, फिर शायद यह मिथ्या धारणा अपने आप ही टूट जाएगी।

इन शुद्ध शाकाहारी प्राणियों ने न तो किसी गैर माँ का दूध पिया होगा न ही यह अपने भोजन के लिए किसी का शिकार करते हैं। उल्टा माँसाहारी प्राणी जैसे शेर, टाइगर इत्यादि अपने भोजन और सारे पोषक तत्वों के लिए शाकाहारी प्राणियों जैसे हिरन, भैंस, गाय आदि का शिकार करते हैं क्योंकि प्रकृति ने उन्हें सीधे पेड़-पौधों से भोजन करने की अनुमति नहीं दी है।
सभी शाकाहारी भोजन में सभी तरह के एमिनो एसिड पाए जाते हैं। प्रोटीन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और संतुष्ट महसूस करने के लिए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हम प्रत्येक दिन कुछ हाईप्रोटीन शाकाहारी भोजन कर रहे हैं।
इंसान भी प्राकृतिक रूप से शाकाहारी ही है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें। प्रकृति में जब सभी शाकाहारी प्राणी अपनी प्रोटीन की जरूरत पेड़-पौधों से प्राप्त भोजन से ही करते हैं तो इंसान क्यों नहीं कर सकता?
शाकाहारी और गैर शाकाहारी(मांस और दूध) भोजन से प्राप्त प्रोटीन में अंतर
- माँसाहारी – मांसाहारी भोजन में प्रोटीन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। लेकिन प्रोटीन का होना और हमारे शरीर के लिए उपयोगी होना दोनों अलग-अलग बात है। जो लोग मांसाहार से अपना प्रोटीन ग्रहण करते हैं उन्हें प्रोटीन के साथ संतृप्त वासा और केलेस्ट्रॉल भी मिलते हैं। विभिन्न अध्यनों में यह आमने आया है कि दिल की बीमारी के लिए यह दोनों जिम्मेदार हैं। इसके अतिरिक्त मांसाहार के जो अनैतिक पहलू है और मांसाहार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उस बारे में यहाँ विस्तार से नहीं लिखेंगे।
- शाकाहारी – इस मिथ्या धारणा के कारण कि शाकाहारी लोगों को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता शाकाहारी अपने आहार में दूध और उससे बने पदार्थों का भरपूर प्रयोग करते हैं। वैसे तो विभिन्न प्रकार की दालों, अनाज, फल, सब्जियों, बीजों और नट्स में पर्याप्त प्रोटीन पाया जाता है लेकिन अगर किसी शाकाहारी के शरीर में प्रोटीन की कमी पायी जाए तो उसका कारण भोजन में विविधता का न होना हो सकता है। शाकाहारी भोजन को दोषपूर्ण बताना किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है।
- विशेष रूप से उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में सोया उत्पाद, अनाज, दालें, नट और बीज शामिल हैं। इन सभी को अपने भोजन में संतुलित मात्रा में शामिल करने से पर्याप्त प्रोटीन मिलता है। जैसे सिर्फ कोई भी दाल खाने से सारे प्रोटीन नहीं मिलते इसलिए दाल-चावल खाने की परंपरा रही है। उसी प्रकार खिचड़ी जो विभिन्न दालों और अनाजों का मिश्रण होती है संतुलित शाकाहारी प्रोटीन का उत्तम स्त्रोत है।
- जरूरत से ज्यादा पशु प्रोटीन(मांस और दूध से मिलने वाले) लेने से गुर्दे की बीमारी, ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है।
- वनस्पति जन्य प्रोटीन पशु उत्पादों की तुलना में हमारी प्रोटीन की जरूरतों को ज्यादा अच्छी तरह से पूरा कर सकते हैं, क्योंकि वे प्रोटीन के कम केंद्रित स्रोत होते हैं (जिससे यह संभावना कम हो जाती है कि आप गैर जरुरी प्रोटीन की मात्रा ग्रहण कर लें ) और क्योंकि शाकाहारी भोजन में पाए जाने वाले प्रोटीन के साथ अन्य पोषक तत्व फाइबर, विटामिन, खनिज, फाइटोकेमिकल्स और स्वस्थ वसा भी संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं जिसका गैर शाकाहारी भोजन में प्राय: अभाव होता है।
कैसे आपका शाकाहारी भोजन बन सकता है निरवद्य (Vegan)?
इन सब के अतिरिक्त गैर शाकाहारी भोजन को पैदा करने में हमारी पृथ्वी के महत्वपूर्ण संसाधन जैसे पानी, जमीन और ऊर्जा की अत्यधिक आवश्यकता होती है साथ ही पशुओं की खेती(animal agriculture) से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
जितने संसाधन गैर शाकाहारी भोजन को पैदा करने में लगते हैं उससे कई कम संसाधनों का प्रयोग कर इतना शाकाहारी भोजन पैदा किया जा सकता है जो पूरी दुनिया को आने वाले कई सालों तक पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम होगा।
आज प्रोटीन की इस मिथ्या को “कि गैर शाकाहारी स्त्रोत ही प्रोटीन के प्रमुख और जरुरी स्त्रोत होते हैं” कई खिलाडी और बॉडी बिल्डर सिर्फ शाकाहारी प्रोटीन ग्रहण कर तोड़ रहे हैं और अपने क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं। भारत में विराट कोहली इसके नवीनतम उदाहरण है। सबूत के तौर पर इस वीडियो को जरूर देखें।
2 thoughts on “क्या शाकाहारी लोगों को प्रोटीन की जरूरत के लिए दूध पीना जरुरी है?”