दूध को जितना पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है यही धारणा अब धीरे-धीरे विभिन्न शोधों से टूटती जा रही है। सिर्फ पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर में दूध की भूमिका भी अब विभिन्न शोधों से सामने आने लगी है।
हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह आदि में तो दूध पहले से गुनहगार है ही लेकिन कैंसर में दूध की भूमिका अब डेयरी उत्पाद के उपभोक्ताओं के लिए चेतावनी से कम नहीं है।
कोई भी बीमारी का सिर्फ एक कारण नहीं होता वैसे ही दूध ही सिर्फ prostate cancer का कारण नहीं कहा जा सकता लेकिन दूध का लम्बे समय तक नियमित उपयोग इसकी संभावनाओं को काफी हद तक बढ़ा देता हैं। [1 ]
प्रोस्टेट कैंसर क्या होता है?
शरीर में जब किसी भी अंग कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है तो उस अवस्था को कैंसर कहते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के मामले में यहाँ प्रोस्टेट ग्रंथि में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है।
प्रोस्टेट एक ग्रंथि है जो केवल पुरुषों में पाई जाती है। यहाँ कुछ तरल पदार्थ बनाता है जो कि वीर्य का हिस्सा होता है।
प्रोस्टेट कैंसर होने के मुख्य कारण
शोधकर्ताओं ने प्रोस्टेट कैंसर होने के कई कारक पाए हैं जो किसी भी पुरुष में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
आयु
प्रोस्टेट कैंसर 40 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना 50 साल की उम्र के बाद तेजी से बढ़ती है। प्रोस्टेट कैंसर के लगभग 6 से 10 मामले 65 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में पाए जाते हैं।
जातीयता
प्रोस्टेट कैंसर अफ्रीकी-अमेरिकी पुरुषों और कैरिबियन के अफ्रीकी पुरुषों में अन्य वंशों के पुरुषों की तुलना में अधिक बार विकसित होता है। और जब यह इन पुरुषों में विकसित होता है, तो वे छोटे होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर एशियाई-अमेरिकी और हिस्पैनिक / लातीनी पुरुषों में गैर-हिस्पैनिक गोरों की तुलना में कम बार होता है। इन नस्लीय और जातीय मतभेदों के कारण स्पष्ट नहीं हैं।
भूगोल
प्रोस्टेट कैंसर उत्तरी अमेरिका, उत्तर पश्चिमी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और कैरिबियाई द्वीपों में सबसे आम है। यह एशिया, अफ्रीका, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में कम पाया जाता है
अनुवांशिकता
प्रोस्टेट कैंसर कुछ परिवारों में चलता है, जो बताता है कि कुछ मामलों में वंशानुगत या आनुवंशिक कारक हो सकता है। अभी भी, ज्यादातर प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होता है, इसका कोई पारिवारिक इतिहास नहीं है।
प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित एक पिता या भाई के पास इस बीमारी के विकसित होने का खतरा दोगुना है। (जोखिम उन पुरुषों के लिए अधिक है, जिनके साथ बीमारी है, जिनके पिता हैं, उनके साथ भाई है।) कई प्रभावित रिश्तेदारों वाले पुरुषों के लिए जोखिम बहुत अधिक है, खासकर अगर उनके रिश्तेदार युवा थे जब कैंसर पाया गया था।
आहार
जो पुरुष बहुत सारे डेयरी उत्पाद खाते हैं, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि जो पुरुष कैल्शियम (भोजन या पूरक आहार के माध्यम से) का अधिक सेवन करते हैं, उन्हें प्रोस्टेट कैंसर के विकास का अधिक खतरा हो सकता है। लेकिन कैल्शियम को अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभों के लिए जरुरी माना गया है।
मोटापा
मोटे (बहुत अधिक वजन) होने से प्रोस्टेट कैंसर होने के समग्र जोखिम में वृद्धि नहीं होती है।
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मोटे पुरुषों में बीमारी के कम-ग्रेड (धीमी गति से बढ़ने) के रूप में होने का कम जोखिम होता है, लेकिन अधिक आक्रामक (तेजी से बढ़ते) प्रोस्टेट कैंसर होने का अधिक खतरा होता है। इसके कारण स्पष्ट नहीं हैं।
क्या कहता है प्रोस्टेट कैंसर के बारे में शोध?
The American Association for Cancer Research.
प्रोस्टेट कैंसर और आहार के संबंधों पर जानकारी हेतु एक शोध किया गया। स्वास्थ्य अध्ययन में भाग लेने वाले कुल 926 पुरुषों में नॉनमैस्टैटिक प्रोस्टेट कैंसर का निदान किया गया
निदान के बाद 5.1 वर्ष के माध्यक(median) के लिए आहार प्रश्नावली पूरा किया, और उसके बाद प्रश्नावली पूरा होने के बाद 9.9 की माध्यक(median) अवधि के लिए मृत्यु दर का आकलन किया गया।
निदान के बाद के दो आहार पैटर्न की पहचान की गई एक विवेकपूर्ण पैटर्न : सब्जियों, फलों, फलियां और साबुत अनाज सेवन करने वाले और दूसरा पश्चिमी पैटर्न : जिसमें संसाधित लाल मीट, उच्च वसा वाले डेयरी उत्पाद और परिष्कृत अनाज का अधिक सेवन करने वालों को शामिल किया गया
पश्चिमी पैटर्न में प्रोस्टेट कैंसर का ज्यादा जोखिम था और मृत्यु दर ज्यादा थी जबकि विवेकपूर्ण पैटर्न में मृत्यु दर बहुत कम पायी गयी।
Source – Cancer prevention research
कैंसर में दूध कैसे जिम्मेदार है?
हार्मोन जैसे इंसुलिन growth factors (IGF-I) , दूध में उपस्थित संतृप्त वसा, कैल्शियम और प्रोटीन prostate cancer के खतरों से जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त रेड और प्रोसेस्ड मीट और अंडे भी प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ते खतरे के लिए जिम्मेदार हैं।
वनस्पति आधारित भोजन के कम होता है प्रोस्टेट कैंसर का खतरा
अनुसंधान से पता चलता है कि पौधे आधारित आहार से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम हो सकता है और निदान होने पर इसकी प्रगति धीमी हो सकती है। लाइकोपीन से समृद्ध फल और सब्जियां (टमाटर, तरबूज और गुलाबी अंगूर में पाया जाने वाला चमकदार लाल रंग) विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है।
हार्वर्ड हैल्थ प्रोफेशनल्स फॉलो-अप स्टडी के आंकड़ों के मुताबिक, जो पुरुष टमाटर की चटनी का सेवन करते हैं, उनकी हफ्ते में दो बार टमाटर की चटनी खाने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा 23 प्रतिशत कम होता है। Cruciferous vegetables (जैसे ब्रोकोली, गोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स) भी इस कैंसर से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
भारत की स्थिति
भारत में होने वाले 10 प्रमुख कैंसर में से यह एक है। दिल्ली, कोलकाता, पुणे और तिरूवनंपुरम में दूसरा और बेंगलुरू और मुबंई जैसे शहरो में होने वाले कैसरो में तीसरे स्थान पर आता है।
यह रोग त्रीव गति से फ़ैल रहा है यह अनुमान लगाया जा रहा हैं कि 2020 तक भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले दुगुने हो जायेंगे। India Against Cancer
कैंसर और आयुर्वेद
हमारे प्राचीन चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद में भी कैंसर का उल्लेख किया गया है। वैसे तो आजकल कैंसर के लिए बहुत सारी एलोपैथिक दवाइयाँ आ गयी है और कीमोथेरपी द्वारा भी कैंसर का इलाज़ किया जाता है। लेकिन इन दवाइयों के बहुत ज्यादा साइड इफ्फेक्ट भी होते हैं।
आयुर्वेद में भी कुछ योग उपलब्ध हैं जिसे लम्बे समय तक प्रयोग करने से कैंसर में सुधार देखा गया है। सबसे अच्छी बात यह है कि लम्बे समय तक उपयोग करने पर भी आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफ़्फ़ेस्ट नहीं पाया गया है।
इसी तरह की एक आयुर्वेदिक दवा Cancertame भी बाज़ार में उपलब्ध है जिसे अमेज़न पर भी ख़रीदा जा सकता है।
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