क्या दूध शाकाहार है? अगर हिंदी में शाकाहार और मांसाहार की परिभाषा देखें तो दूध किसी भी दृष्टि से न तो शाकाहार कहा जा सकता है न ही मांसाहार। लेकिन अगर अंग्रेजी में vegetarian और non vegetarian की परिभाषा देखें तो दूध को non vegetarian कहने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
अक्सर जब अंग्रेजी के non vegetarian शब्द का हिंदी में मांसाहार के रूप में अनुवाद किया जाता है तब दूध को लेकर समस्या पैदा हो जाती है। दूध पीने वाले इसे मांसाहार कहने पर आपत्ति भी उठाते हैं क्योकि यह उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचता है।
क्या दूध शाकाहार है?
अगर शाकाहार की परिभाषा के अनुसार दूध का वर्गीकरण करा जाए तो दूध किसी भी दृष्टि से शाकाहार के रूप वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
शाकाहार का शाब्दिक अर्थ ही है शाक+आहार = शाकाहार अर्थात जो भोजन हमें पेड़ पौधों या वनस्पतियों से प्राप्त होता है उसे ही शाकाहार कहा जा सकता है। दूध कोई पेड़ पौधों पर तो उगता नहीं तो फिर उसे शाकाहार कहना कहाँ तक उचित है?
अंग्रेजी में दूध को परिभाषित करने में कोई समस्या नहीं है क्योकि non vegetarian का मतलब ही होता है जो शाकाहार नहीं है।
क्या दूध मांसाहार है?
जैसा की मैंने शुरुआत में कहा कि जब दूध को परिभाषित करने के लिए अंग्रेजी के non vegetarian शब्द का अनुवाद हिंदी में मांसाहार के रूप में किया जाता है तब समस्या खड़ी हो जाती है क्योकि यहाँ दूध मांसाहार की परिभाषा में भी फिट नहीं बैठता और इसीलिए दूध पीने वाले शाकाहारियों को इस पर आपत्ति होती है।
तो फिर दूध क्या है?
जैसा कि प्रकृति ने दूध सिर्फ नवजात बच्चों के पोषण के लिए ही बनाया है इसलिए इसे शिशुआहार कहना बहुत हद तक इसे सही रूप से परिभाषित करता है। शिशुआहार शब्द से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि दूध शिशुओं का आहार है।
हर स्तनधारी प्राणी के दूध तभी आता है जब उसके बच्चा होता है। इस दृष्टि से भी दूध को शिशुआहार कहना बिलकुल सही मालूम होता है। वैसे भी इंसान के दूध को तो शिशुआहार माना ही जाता है।
दूध को शिशुआहार कहना भी ज्यादातर लोगों को स्वीकार्य नहीं होता क्योकि हमारे समाज में पशु-दूध को आजीवन बुढ़ापे तक पीने का प्रचलन हो गया है और जब इसे शिशुआहार कहा जायेगा तो परेशानी होना स्वाभाविक है।
जब कोई वयस्क व्यक्ति दूध पीता है और उसे याद दिलाया जाए कि वह शिशुआहार का सेवन कर रहा है तब भी यह उसे ठेस पहुँचाने वाला ही होता है। इसलिए हमारा समाज पशु-दूध को शिशुआहार स्वीकार करने को कभी तैयार नहीं होता और हमेशा इसका विरोध ही होता है।
वैसे तो शाकाहारी लोग दूध को शाकाहार कहलाने में ही सबसे ज्यादा खुश हैं क्योंकि ऐसा कहा जाने से उन्हें अपराधबोध से मुक्ति मिलती है और वह आराम से आजीवन दूध का सेवन कर सकते हैं।
दूध को शाकाहार कहने में आपत्ति तब से होने लगी है जब से देश में वीगनिस्म (veganism) के बारे में जागृति आने लगी है। वीगन (निरवद्य) लोगों को इस पर घोर आपत्ति है कि दूध को शाकाहार क्यों कहा जाता है? रोचक बात यह है कि जब दूध को शाकाहार की श्रेणी से बाहर करने की बात आती है(या दूध को मांसाहार कहा जाता है ) तो माँसाहारी लोग इसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं। शायद ऐसा करने से उनका अपराधबोध भी कम हो जाता है।
अब जैसे-जैसे वीगन जीवन शैली की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है दूध को शाकाहार की श्रेणी से अलग करने की बात भी होने लगी है।
वैसे तो ऐसे शाकाहारी लोग जो दूध का सेवन नहीं करते हैं अपने आप को वीगन कहलाना पसंद करते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में जो शाकाहारी लोग दूध का सेवन करते हैं उनकी यह ग़लतफ़हमी बनी रहती है कि दूध शाकाहारी है। यही ग़लतफ़हमी उन्हें दूध के पीछे होने वाली क्रूरताओं को स्वीकार करने से रोकती है।
क्या क्रूरता है दूध में?
वैसे तो इस ब्लॉग में लगभग हर पोस्ट में दूध के पीछे होने वाली क्रूरताओं का विस्तार से वर्णन किया गया है लेकिन बहुत संक्षिप्त में कहा जाये तो पशु-दूध के उत्पादन के लिए –
- पशुओं को बंधक बना कर रखना
- उन्हें जबरन गर्भवती बनाया जाना
- उनके बछड़ों को पैदा होते ही माँ से अलग रखना
- नर बछड़ों को सड़कों पर छोड़ देना या उनकी कत्लखाने में हत्या होना
- पशुओं का गर्भावस्था में भी दूध दुहना
- ज्यादा दूध के लिए हार्मोन के इंजेक्शन व अन्य दवाइयां देना
- कुछ वर्षों में पशु के बेकार होने पर उसे भी सड़कों पर छोड़ देना या कत्लखाने को बेच देना
यह कुछ ऐसी असामान्य प्रक्रियांएं है जो डेयरी उद्योग में सामान्य मानी जाती है और इसे दूध के उपभोक्ताओं से पूरी तरह से छिपाये रखने की कोशिश की जाती है।
क्या आप खालबच्चा के बारे में जानते हैं?
क्या आप अभी भी यही सोचते हैं कि गाय हमारी माता है और गाय हमारे लिए ही दूध देती है?
इन क्रूरताओं के बारे में जानते हुए या अनजाने में एक शाकाहारी बिना किसी अपराधबोध के दूध का सेवन इसलिए करता रहता है क्योकि दूध शाकाहार की श्रेणी में आता है।
अगर दूध को शाकाहार की श्रेणी से निकल कर एक अलग श्रेणी में रखा जाए तो ज्यादा उचित होगा। दूध पीने वालों को गैर शाकाहारी या अशाकाहारी भी कहा जा सकता है जो अंग्रेजी के non vegetarian का सही अनुवाद भी होगा।
अगर ऐसा होता है तो अपने आप को शुद्ध शाकाहारी कहलाये जाने पर जो फूले नहीं समाते हैं उन्हें इस बात का अहसास होने लगेगा कि दूध एक सामान्य शाकाहार नहीं है और इसमें कुछ तो गलत है।
अब जब भी कभी यह प्रश्न उठे कि क्या दूध शाकाहार है या मांसाहार? तो इसे न तो शाकाहार और न ही मांसाहार कहना उचित होगा। आप दूध को क्या कहेंगे? और क्यों?
अगर आप बिना दूध की चाय कॉफी पसंद नहीं करते हैं लेकिन डेयरी उद्योग की क्रूरता से विचलित है तो आपके लिए बाज़ार में पूर्णत: शाकाहारी(वीगन) विभिन्न प्रकार के दूध उपलब्ध है। इसे आप ऑनलाइन यहाँ से भी खरीद सकते हैं
इन वीगन दूध से क्रूरता मुक्त स्वादिष्ट और सेहतमंद चाय या काफी बनायीं जा सकती है।
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