दूध पीने को लेकर एक सबसे मजबूत अवधरणा जो हमारे समाज में फैली हुई है वह है कि दूध पीने से हमारी हड्डियां मजबूत होती है। इस धारणा को प्रबल बनाने में सरकारों और डेयरी उद्योग का बहुत बड़ा हाथ है।
दूध में कैल्शियम होता है और यह पौष्टिक गुणों से भरपूर होता है लेकिन सिर्फ नवजात बच्चे के लिए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इसमें उपलब्ध कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व सही मायने में हमे आजीवन दूध का पीने पर कोई फायदा पहुंचाते है?
यह तो बिलकुल स्पष्ट है कि दूध एक शिशु आहार है तो क्या शिशु आहार जवानी और बुढ़ापे में भी उतना ही फायदेमंद होता है जितना कि बचपन में होता है?
इन प्रश्नों का उत्तर कोई भी ईमानदारी से देना नहीं चाहता विशेषकर जब सरकारें, धर्मगुरु, डॉक्टर्स और डेयरी लॉबी सभी पशु-दूध के स्वाद, मोह और व्यावसायिक हितों से ऊपर उठ कर सोचने और जागरूकता लाने में बिलकुल भी गंभीर नहीं हैं।
प्रोस्टेट कैंसर और दूध का रिश्ता!
दूध पीने से कैसे हड्डियां कमजोर होती है?
आज जब हर क्षेत्र में नए-नए शोध और खोजें हो रही है तब डेयरी उत्पादों का प्रयोग किस तरह से हमारे लिए फायदेमंद या नुकसानदायक है इस पर भी काफी शोध हुआ है। विभिन्न शोध में यह बिलकुल स्पष्ट हो चुका है कि जो दूध के विषय में अवधारणा चली आ रही है कि उम्र भर पशु-दूध के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है बिलकुल निराधार है।
गाय का दूध पीने और उससे बने उत्पाद सेवन करने से शरीर में अम्लता बढ़ती है। शरीर की प्राकृतिक क्षारीय स्थिति में लौटने और अम्लता को बेअसर करने के लिए, हमारी हड्डियों से कैल्शियम और फॉस्फोरस निकलने लगता है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि हमारा शरीर गाय के दूध में कैल्शियम को न के बराबरअवशोषित करता हैं। इसके उलट वास्तव में शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है।

वैसे तो इंटरनेट पर इस सम्बन्ध में कई आलेख मिल जाएँगे लेकिन मैं यहाँ अमेरिका की एक प्रतिष्ठित वेबसाइट WebMD पर प्रकाशित लेख Is Milk Your Friend or Foe? का जिक्र करना चाहूँगा जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि विशेषकर महिलाओं में दूध का नियमित सेवन ओस्टीओपोरोसिस का मुख्य कारण बनता जा रहा है।
इसमें सिर्फ हड्डियों के कमजोर होने का ही जिक्र नहीं है अपितु स्पष्ट रूप से चेताया गया है कि पशु-दूध के नियमित सेवन से हृदय-रोग, कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप होने की संभावनाएँ भी कई गुना बढ़ जाती है।
इस बारे में आगे और खुलासा करते हुए लिखा है कि इन सब हानिकारक प्रभावों के लिए दूध में मौजूद शर्करा लेक्टोज़ और गलैक्टोस मुख्य रूप से जिम्मेदार है।
आज जब भारत दूध के उत्पादन और सेवन करने में विश्व में अग्रणी है वहीँ ओस्टीओपोरोसिस, हृदय-रोग, कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों के मरीज़ों की संख्या में भी अन्य देशों से कहीं आगे है।